JEE Advanced 2025 : जेईई एडवांस्ड टॉपर्स की पहली पसंद IIT बॉम्बे, दिल्ली और मद्रास जैसे टॉप इंजीनियरिंग कॉलेज होते हैं. लेकिन कुछ टॉपर इन सब को छोड़कर दुनिया की नंबर-1 यूनिवर्सिटी मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी चुनते हैं. जेईई एडवांस्ड 2025 में आठवीं रैंक हासिल करने वाले देवेश भैया भी इनमें से हैं. देवेश ने आईआईटी बॉम्बे में बीटेक कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग (CSE) जैसा हाई-पेइंग कोर्स छोड़कर अमेरिका के प्रतिष्ठित संस्थान MIT जाने का निर्णय लिया है.
आईआईटी बॉम्बे में बीटेक की कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग (CSE) ब्रांच जेईई एडवांस्ड टॉपर्स की टॉप चॉइस रहती है. देश-विदेश की मल्टीनेशनल कंपनियों की ओर से मिलने वाले तगड़े पैकेज इसकी बड़ी वजह हैं. वहीं, एमआईटी क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में दुनिया की नंबर-1 यूनिवर्सिटी का दर्जा रखती है.
देश भैया MIT जाने वाले इकलौते टॉपर नहीं
जेईई एडवांस्ड टॉप करके एमआईटी में पढ़ने का फैसला लेने वाले देवेश भैया इकलौते स्टूडेंट नहीं हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल नंबर-1 रैंक हासिल करने वाले वेद लोहाटी भी फुल फंडेड स्कॉलरशिप के लिए आईआईटी बॉम्बे के पवई कैंपस में एक साल पढ़ने के बाद इसे छोड़ने जा रहे हैं. वह भी एमआईटी जा रहे हैं. पिछले कुछ साल से जेईई एडवांस्ड टॉपर्स का आईआईटी छोड़कर एमआईटी जाने का ट्रेंड का ट्रेंड देखने को मिल रहा है. जेईई एडवांस्ड 2020 टॉपर चिराग फालोर और 2014 टॉपर चित्रांग मुर्डिया ने भी विदेश में पढ़ना चुना था. मुर्डिया ने आईआईटी बॉम्बे में एक साल बिताने के बाद एमआईटी से ग्रेजुएशन और कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, बर्कले से पीएचडी की.
बैकअप के तौर पर दिया था जेईई एडवांस्ड
देवेश भैया को मार्च में ही एमआईटी में दाखिला मिल गया था. लेकिन फिर भी उन्होंने बैकअप के तौर पर जेईई एडवांस्ड परीक्षा दी. कई अन्य स्टूडेंट्स भी विदेश जाने से पहले भारतीय कैंपसों की नब्ज टटोलने के लिए यहां एक साल पढ़ने का फैसला कर चुके हैं. एक्सपर्ट्स का मानना है कि एमआईटी के दरवाजे ओलंपियाड विजेताओं, जेईई एडवांस्ड जैसी परीक्षाओं में हाई स्कोर करने वाले स्टूडेंट्स के लि खुले रहते हैं.
देवेश का शानदार रिकॉर्ड
जलगांव के रहने वाले देवेश का एकेडमिक रिकॉर्ड शानदार रहा है. तीन गोल्ड मेडल, 2021, 2022 में अंतरराष्ट्रीय जूनियर विज्ञान ओलंपियाड से दो और 2024 में अंतरराष्ट्रीय केमिस्ट्री साइंस ओलंपियाड से एक. 2020 में उन्हें बाल शक्ति पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था. 12 साल की उम्र में जब अधिकांश बच्चे आकाश में तारामंडल का पता लगा रहे होते हैं, तब देवेश उनके लुप्त होने की मैपिंग कर रहे थे और लाइट पॉल्यूशन पर एक पेपर लिख रहे थे.
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